27/01/2022
मनुष्य के जीवन में उस ग्रह विशेष के दुष्प्रभावों को नष्ट करता है। रत्नों का मनुष्य के जीवन पर निश्चित रूप से प्रभाव पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रत्नों में अलौलिक शक्तियां होती हैं यदि रत्न सही समय में और ग्रहों की सही स्थिति को देखकर धारण किए जाएं तो उनका सकारात्मक प्रभाव प्राप्त होता है। आज हम बात करने जा रहे हैं फिरोजा रत्न के बारे में।
ज्योतिष में इस रत्न को बेहद ही प्रभावशाली माना जाता है। बहुत ही कम लोग इस रत्न को धारण कर पाते हैं। ये बृहस्पति ग्रह का रत्न है जिसे धारण करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। आइए जानते हैं किन लोगों को ये करता है सूट और धारण करने की सही विधि…
कौन कर सकता है फिरोजा धारण?
फिरोजा को अंग्रेजी में ‘टरक्वाइश’ कहा जाता है। फिरोजा रत्न दिखने में गहरे नीले रंग का होता है। साथ ही देखने में आकर्षक लगता है। धनु राशि के लोगों के लिए ये रत्न सबसे उपयुक्त माना जाता है। क्योंकि धनु राशि के स्वामी गुरु बृहस्पति हैं। कुंडली में अगर गुरु बृहस्पति उच्च के स्थित हैं, तो भी इस रत्न को धारण किया जा सकता है। इसके साथ ही मेष, कर्क, सिंह और वृश्चिक राशि के जातक भी ये रत्न धारण कर सकते हैं।
लोकप्रियता प्रदान करता है यह रत्न:
प्रेम संबंधों और करियर में सफलता पाने के लिए इस रत्न को धारण किया जा सकता है। इस रत्न के प्रभाव से वैवाहिक जीवन की परेशानियां भी दूर होने की मान्यता है। फिल्मी कलाकार, पेशे से आर्किटेक्चर, चिकित्सक और इंजीनियर भी इस रत्न को ज्योतिषीय सलाह से धारण कर सकते हैं। ये रत्न लोकप्रियता व मित्रता में भी बढ़ोत्तरी करता है।
बुरी शक्तियों से बचाता है फिरोजा:
फिरोजा रत्न को पहनने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं और स्वास्थ्य बेहतर रहता है। यह कई बुरी शक्तियों से इंसान को बचाता है तथा धन, ज्ञान, प्रसिद्धि और ताकत प्रदान करता है। जो इंसान अपने व्यक्तित्व को आकर्षक बनाना चाहता है तथा अपनी रचनात्मक शैली में सुधार करना चाहता है, तो उसे फिरोजा रत्न जरूर धारण करना चाहिए।
ऐसे धारण करें फिरोजा:
फिरोजा रत्न शुक्रवार, गुरुवार या फिर शनिवार के दिन भी धारण किया जा सकता है। इस रत्न को धारण करने का सबसे शुभ समय सुबह 6 बजे से 8 बजे तक होता है। इस रत्न को सोना या तांबा किसी भी धातु में पहना जा सकता है। इसे पहनने से एक रात पहले दूध, शहद, मिश्री और गंगाजल मिश्रित घोल में इसे डालकर रख दें। फिर अगले दिन स्नान कर पूजा करने के बाद इस रत्न को धारण कर लें। इसे धारण करने के बाद आप गुरु बृहस्पति का दान भी निकालें और उस दान को किसी भी मंदिर के पुजारी को चरण स्पर्श करके दे आएं।
राशि के अनुसार मंत्र जाप करवा के रत्न उपरत्न रूद्राक्ष लेने के लिए सपार्क करे
8733898927
18008896845
www.omkaraw.com
मनुष्य के जीवन में उस ग्रह विशेष के दुष्प्रभावों को नष्ट करता है। रत्नों का मनुष्य के जीवन पर निश्चित रूप से प्रभाव पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रत्नों में अलौलिक शक्तियां होती हैं यदि रत्न सही समय में और ग्रहों की सही स्थिति को देखकर धारण किए जाएं तो उनका सकारात्मक प्रभाव प्राप्त होता है। आज हम बात करने जा रहे हैं फिरोजा रत्न के बारे में।
ज्योतिष में इस रत्न को बेहद ही प्रभावशाली माना जाता है। बहुत ही कम लोग इस रत्न को धारण कर पाते हैं। ये बृहस्पति ग्रह का रत्न है जिसे धारण करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। आइए जानते हैं किन लोगों को ये करता है सूट और धारण करने की सही विधि…
कौन कर सकता है फिरोजा धारण?
फिरोजा को अंग्रेजी में ‘टरक्वाइश’ कहा जाता है। फिरोजा रत्न दिखने में गहरे नीले रंग का होता है। साथ ही देखने में आकर्षक लगता है। धनु राशि के लोगों के लिए ये रत्न सबसे उपयुक्त माना जाता है। क्योंकि धनु राशि के स्वामी गुरु बृहस्पति हैं। कुंडली में अगर गुरु बृहस्पति उच्च के स्थित हैं, तो भी इस रत्न को धारण किया जा सकता है। इसके साथ ही मेष, कर्क, सिंह और वृश्चिक राशि के जातक भी ये रत्न धारण कर सकते हैं।
लोकप्रियता प्रदान करता है यह रत्न:
प्रेम संबंधों और करियर में सफलता पाने के लिए इस रत्न को धारण किया जा सकता है। इस रत्न के प्रभाव से वैवाहिक जीवन की परेशानियां भी दूर होने की मान्यता है। फिल्मी कलाकार, पेशे से आर्किटेक्चर, चिकित्सक और इंजीनियर भी इस रत्न को ज्योतिषीय सलाह से धारण कर सकते हैं। ये रत्न लोकप्रियता व मित्रता में भी बढ़ोत्तरी करता है।
बुरी शक्तियों से बचाता है फिरोजा:
फिरोजा रत्न को पहनने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं और स्वास्थ्य बेहतर रहता है। यह कई बुरी शक्तियों से इंसान को बचाता है तथा धन, ज्ञान, प्रसिद्धि और ताकत प्रदान करता है। जो इंसान अपने व्यक्तित्व को आकर्षक बनाना चाहता है तथा अपनी रचनात्मक शैली में सुधार करना चाहता है, तो उसे फिरोजा रत्न जरूर धारण करना चाहिए।
ऐसे धारण करें फिरोजा:
फिरोजा रत्न शुक्रवार, गुरुवार या फिर शनिवार के दिन भी धारण किया जा सकता है। इस रत्न को धारण करने का सबसे शुभ समय सुबह 6 बजे से 8 बजे तक होता है। इस रत्न को सोना या तांबा किसी भी धातु में पहना जा सकता है। इसे पहनने से एक रात पहले दूध, शहद, मिश्री और गंगाजल मिश्रित घोल में इसे डालकर रख दें। फिर अगले दिन स्नान कर पूजा करने के बाद इस रत्न को धारण कर लें। इसे धारण करने के बाद आप गुरु बृहस्पति का दान भी निकालें और उस दान को किसी भी मंदिर के पुजारी को चरण स्पर्श करके दे आएं।
राशि के अनुसार मंत्र जाप करवा के रत्न उपरत्न रूद्राक्ष लेने के लिए सपार्क करे
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