27/04/2024
Khimsar : ये है राजस्थान का सबसे अनूठा गांव 'खींवसर सैंड ड्यून्स विलेज', जानिए इसकी पूरी कहानी
बिलकुल शांत वातावरण। शुद्ध हवा। चारों तरफ रेत ही रेत। बीचों-बीच झील। आस-पास खेजड़ी के पेड़ और झौपड़े। दिल के झरोखे सी यह जगह है खींवसर सैंड ड्यून्स विलेज। इस गांव के खूबसूरत नजारों की तस्वीरें इन दिनों सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रही हैं।
दरअसल, यह गांवनुमा एक रिज़ॉर्ट है। इसका पूरा नाम वेलकमहोटल खींवसर फोर्ट एंड ड्यून्स है, जो राजस्थान के नागौर जिले के विधानसभा क्षेत्र खींवसर में स्थित है। वन इंडिया हिंदी से बातचीत में सैंड ड्यून्स विलेज के जीएम नवीन चौपड़ा ने इसके निर्माण से लेकर मौजूदा स्वरूप से जुड़ी कई बातें शेयर की।
1523 में बनाया खींवसर फोर्ट
नवीन चौपड़ा ने बताया कि जोधपुर बसाने वाले महाराजा राव जोधा के आठवें बेटे मुगलों से चौथा युद्ध लड़ने के लिए खींवसर आए थे। तब खींवसर व नागौर इलाके जोधपुर राजा के ही अधीन थे। उस समय 1523 में खींवसर फोर्ट का निर्माण करवाया गया था।
फिर साल 1979 में गजेंद्र सिंह खींवसर ने फोर्ट को लग्जरी होटल में बदल दिया। तब फोर्ट 7-8 कमरे थे, जो अब बढ़कर 71 हो चुके हैं। फोर्ट को होटल बनाने के दौरान काफी निर्माण कार्य हुआ, मगर फोर्ट के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ नहीं की गई।
खींवसर फोर्ट से छह किमी दूर अनूठा गांव
गांव खींवसर में ही फोर्ट से छह किलोमीटर दूर आंकला गांव की तरफ राजस्थान का थार मरूस्थल शुरू हो जाता है। ऐसे में यहां पर मिट्टी के बड़े बड़े टीले हैं, जो करीब 300 से 400 फीट ऊँचे हैं। ऐसे में यहां पर पर्यटकों के लिए सैंड ड्यून्स विलेज बसाया गया है।
2002 में बसाया सैंड ड्यून्स विलेज
नवीन चौपड़ा बताते हैं कि सैंड ड्यून्स विलेज में मिट्टी के टीले, पेड़ और यहां की आबो-हवा प्राकृतिक है। साल 2002 सैंड ड्यून्स विलेज बसाते समय टीलों और खेजड़ी के पेड़ों को मूलरूप में ही रखा है। यहां पर बीचों-बीच झील बनाई गई, जिसे नलकूप के पानी से भरा जाता है। इसके अलावा यहां पर खजूर के पेड़ लगाए गए हैं
छह कमरों से हुई शुरुआत
करीब 20 साल पहले सैंड ड्यून्स विलेज खींवसर की शुरुआत छह कमरों से की थी। यहां के कमरों के खास बात यह है कि ये बाहर से झोपड़ेनुमा दिखाई देते हैं, मगर लग्जरी हैं। शुरुआत में खींवसर सैंड ड्यून्स विलेज में सिर्फ छह कमरे बनाए गए थे। उनमें टीवी, फोन व इंटरनेट आदि की सुविधा नहीं दी। ऐसे में शांत वातारण होने के कारण उनमें लेखक, साहित्यकार और प्रकृतिप्रेमी आकर ठहरने लगे थे।
लालटेन की रोशनी में भोजन
धीरे-धीरे खींवसर के इस अनूठे गांव की पहचान बनती गई और पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ने लगी। लोग यहां आकर लालटेन की रोशन में ग्रामीण माहौल में भोजन करने, कैमल व जीप सफारी और रातों को खुले आसमां में तारे देखने के लिए आने लगे।
55 एकड़ में फैला सैंड ड्यून्स गांव
सैंड ड्यून्स खींवसर में पर्यटकों की दिलचस्पी बढ़ने के कारण इसमें झोपड़ेनुमा कमरों की संख्या बढ़ाकर 18 की गई। साथ उन कमरों में टीवी, इंटरनेट, फोन व एसी की भी सुविधा उपलब्ध करवाई। सैंड ड्यून्स विलेज 55 से 60 एकड़ में फैला है। इसका संचालन आईटीसी ग्रुप द्वारा किया जा रहा है।
सैंड ड्यून्स विलेज में वाहन पार्किंग की मनाही
नवीन कहते हैं कि सैंड ड्यून्स विलेज आने वाले पर्यटकों को जीप व कैमल सफारी की सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है, मगर खास बात यह है कि सैंड ड्यून्स विलेज में गाड़ियों की पार्किंग व टीलों पर वाहन ले जाने की मनाही है ताकि प्राकृतिक खूबसूरती को बरकरार रखा जा सके।
देशी-विदेशी सैलानियों के साथ-साथ बॉलीवुड को सैंड ड्यून्स विलेज खींवसर अपना दीवाना बना रहा है। यहां अब तक 70 से ज्यादा फिल्मों की शूटिंग हो चुकी हैं। सलमान खान, गोविंदा, अक्षय कुमार, अनुपम खेर जैसे बड़े सितारे भी यहां ठहर चुके हैं। हाल ही में यहां पर बंदिश बैंडिटस, रंगीला राजा, चार दिन की चांदनी व हॉली डेज आदि फिल्मों की शूटिंग हुई है।
राजस्थान के बीच में स्थित सैंड ड्यून्स विलेज खींवसर तक पहुंचना आसान है। दिल्ली से सड़क मार्ग के जरिए आठ घंटे में पहुंचा जा सकता है। निकलटवर्ती एयरपोर्ट जोधपुर है, जो 95 किलोमीटर है। वहां से निजी गाड़ी या टैक्सी के जरिए जोधपुर-बीकानेर हाईवे होते हुए आ सकते हैं। इसके अलावा निकटवर्ती रेलवे स्टेशन नागौर है, जो 40 किलोमीटर दूर है।
Credit one India