11/03/2024
"कहानी, एक शाही विवाह की"
आज से २४१ साल पुरानी है ये बात.
साल था १७८३, दिन था १० फरवरी. एक ऐसी बारात निकली, जिसके अग्रभाग मे १०० सजे हाथी, ५००० घुडसवार सेना, १०००० पैदल फौजी, २०० वाजंत्री (ब्यांड बाजेवाले) उनके पिछे चलते आलम हिंदुस्थान से पधारे सेकडो मेहमान, साहुकार, पंडित, सरदार.
जब दुल्हा सज कर घोडी/ पालकी चढा तो बिनी (आगे) वाला हाथी था लगभग ३ किमी तक दूर...
क्या था ये मामला? ये ऐसी शादी थी जिसमे संपत्ती का प्रदर्शन नही लेकिन कोई अलग प्रेरणा छुपी हुई थी.
एक ऐसा साम्राज्य था, जो अपने शीर्ष स्थान पर एक १७६१ की भयंकर लडाई से क्षतिग्रस्त, घरेलू मामले से त्रस्त घुटने पे आ गया ऐसे लग राहा था. उस साम्राज्य की मात्र १२-१३ साल मे वापसी को, उसके नये शासक का नाम " डंके की चोट" पर ना ही हिंदुस्थान, लेकिन युरोप तक गुंजना था. यह प्रेरणा से इस विवाह का आयोजन हुवा था.
जी हा दोस्तो, ये शादी थी 'सवाई माधवराव', उमर १३ साल जो नन्हें बालक थे तबसे "मराठा साम्राज्य के पेशवा" के स्वरूप घोषित किये गये थे. दुल्हन थी 'राधाबाई थत्ते', उमर ९ साल.
इस शादी डिप्लोमसी के कर्ता धर्ता थे "नाना फडणवीस" और शादी का स्थान था "पर्वती, अपना पुणे"!
अन्य कुछ रंजक बाते जो तकरीबन २२ पन्नो की पुस्तिका मे दर्ज है.
१) पेशवा सरकार का पोषाख - "तमामी" - एक ताना जरी से, एक बाना शुद्ध सोने से बूना.
२) निमंत्रण पत्रिका - हाथ से लिखी, दूत के साथ रवाना.
३) मेहमान नवाजी - आहुदेनुसार रहने कि व्यवस्था. जानवर, सेवक वर्ग की भी खातिरदारी. रोज अभ्यंगस्नान की व्यवस्था.
४) भोजन - चांदी के पाट (बैठक) तथा थाली, अगरबत्ती दान और दिये. १६ प्रकार की सब्जी, तरकारी, उतनीही कोशिंबीर (सलाड), आमटी/सार (दाल के प्रकार), मिष्टान्न, चावलं इत्यादी. खाने पश्चात "कुलुपी पान".
५) भोजन कैसा परोसा जाये, इसका विवरण. जो परोसेगा, उसके बाल, नाखून परीक्षण इत्यादी चीजे.
६) उपहार, भेट वस्तू विवरण.
७) ईतर तथा अन्य सुगंधीत द्रव्य प्रयोग.
और ढेर सारे विवरण...
तो ऐसी थी ये शादी. शायद तभी से हमारा पुणे "शादीयोका पुणे" भी बन गया.
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Reference - Hindustan Times, Peshwa page