Earth Ganga Travels. Rishikesh

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Chardham Yatra 2024 बारह ज्योतिर्लिंगों में से ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग केदारनाथ धाम के कपाट आज विधि विधान के साथ वृष लग्न...
10/05/2024

Chardham Yatra 2024 बारह ज्योतिर्लिंगों में से ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग केदारनाथ धाम के कपाट आज विधि विधान के साथ वृष लग्न में खोल दिए गए हैं. आज सुबह 7 बजकर 15 मिनट पर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ बाबा केदार के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिए खोले गए हैं जय बाबा केदारनाथ जी🙏

16/02/2023
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17/12/2020

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20/01/2020
Earth Ganga travels Rishikesh Eartthgangatravels.com
09/10/2019

Earth Ganga travels Rishikesh

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21/09/2019

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Group tour kunjapuri mata temple Rishikesh With
31/08/2019

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18/07/2019

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Rajaji National Park selfie with animals
05/01/2019

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20/12/2018
History of Devprayag in Hindi  देवप्रयाग भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित एक नगर एवं प्रसिद्ध तीर्थस्थान है। यह अलकनंद...
12/09/2018

History of Devprayag in Hindi देवप्रयाग भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित एक नगर एवं प्रसिद्ध तीर्थस्थान है। यह अलकनंदा तथा भागीरथी नदियों के संगम पर स्थित है। इसी संगम स्थल के बाद इस नदी को पहली बार 'गंगा' के नाम से जाना जाता है। यहाँ श्री रघुनाथ जी का मंदिर है, जहाँ हिंदू तीर्थयात्री भारत के कोने कोने से आते हैं। देवप्रयाग अलकनंदा और भागीरथी नदियों के संगम पर बसा है। यहीं से दोनों नदियों की सम्मिलित धारा 'गंगा' कहलाती है। यह टेहरी से १८ मील दक्षिण-दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित है। प्राचीन हिंदू मंदिर के कारण इस तीर्थस्थान का विशेष महत्व है। संगम पर होने के कारण तीर्थराज प्रयाग की भाँति ही इसका भी नामकरण हुआ है।
उत्तराखंड के पांच प्रयाग में से एक है “देवप्रयाग” | “देवप्रयाग” एक नगर एवम् प्रसिद्ध तीर्थस्थान है | यह स्थान उत्तराखंड राज्य के पंच प्रयागों में से एक माना जाता है | इस स्थान के बारे में यह कहा जाता है कि जब राजा भागीरथ ने गंगा को पृथ्वी पर उतारने के लिए मनाया , तो 33 करोड़ देवी देवता भी गंगा के साथ स्वर्ग से उतरे और देवी-देवता ने अपना आवास “देवप्रयाग” में बनाया जो की गंगा की जन्मभूमि है | संगम स्थल पर स्थित होने के कारण तीर्थराज प्रयाग की भाति ही “देवप्रयाग” का भी धार्मिक महत्व है | इस स्थान पर भागीरथी और अलकनंदा नदी का संगम होता है | इस संगम स्थल के बाद इस नदी को “गंगा नदी” के नाम से जाना जाता है | “देवप्रयाग” अलकनंदा और भागरथी के संगम पर स्थित है | “भागीरथी नदी” गोमुख स्थान से 25 कि.मी. लम्बे गंगोत्री हिमनद से निकलती है।

“अलकनंदा नदी” उत्तराखंड में शतपथ और भगीरथ खड़क नामक हिमनदों से निकलती है जो कि गंगोत्री कहलाता है। देवप्रयाग समुन्द्र की सतह से 830 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है | इस तीर्थ स्थान से “ऋषिकेश” सबसे निकटम शहर है | जो की देवप्रयाग से 70 किलोमीटर दूर है | इस स्थान के एक तरफ से “अलकनंदा” और दूसरी तरफ से “भागीरथी” आकर जिस बिंदु पर मिलते है , वो दृश्य अत्यधिक अद्भुत लगता है | देवप्रयाग को “सुदर्शन क्षेत्र” भी कहा जाता है | कहा जाता है कि इस स्थान में एक भी कौआ नहीं दिखाई देता है | यह बात अपने आप में एक आश्चर्य की बात है | ( देवप्रयाग का इतिहास , पौराणिक मान्यताये एवम् आकर्षण स्थल ) www.earthgangatravels.com

चंद्रशिला, तुंगनाथ मंदिर, उत्तराखंड श्री राम ने यहां आकर जीव हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए तप किया था।तुंगनाथ का रास...
11/06/2018

चंद्रशिला, तुंगनाथ मंदिर, उत्तराखंड

श्री राम ने यहां आकर जीव हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए तप किया था।

तुंगनाथ का रास्ता
तुंगनाथ उत्तराखण्ड के गढ़वाल के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक पर्वत है। तुंगनाथ पर्वत पर स्थित है तुंगनाथ मंदिर, जो ३,६८० मीटर की ऊँचाई पर बना हुआ है और पंच केदारों में सबसे ऊँचाई पर स्थित है। यह मंदिर १,००० वर्ष पुराना माना जाता है और यहाँ भगवान शिव की पंच केदारों में से एक के रूप में पूजा होती है। ऐसा माना जाता है की इस मंदिर का निर्माण पाण्डवों द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया गया था, जो कुरुक्षेत्र में हुए नरसंहार के कारण पाण्डवों से रुष्ट थे। तुंगनाथ की चोटी तीन धाराओं का स्रोत है, जिनसे अक्षकामिनी नदी बनती है। मंदिर चोपता से ३ किलोमीटर दूर स्थित है। www.earthgangatravels.com

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